Detailed Notes on bhairav kavach

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ರಾಜ್ಯಂ ರಾಜ್ಯಶ್ರಿಯಂ ಪಾಯಾತ್ ಭೈರವೋ ಭೀತಿಹಾರಕಃ

भीषणो भैरवः पातु उत्तरास्यां तु सर्वदा

आग्नेयां च रुरुः पातु दक्षिणे चण्ड भैरवः

देवदानवगन्धर्वकिन्नरपरिसेवितम् ॥ ४॥



ऊर्ध्वं पातु विधाता च पाताले नन्दको विभुः ।

त्रिसन्ध्यं पठनाद् देवि भवेन्नित्यं महाकविः ॥ ३॥

सर्वदा पातु ह्रीं बीजं बाह्वोर्युगलमेव च ॥

नैॠत्यां क्रोधनः पातु उन्मत्तः पातु पश्चिमे bhairav kavach

कालभैरव भगवान शिव के रौद्र अवतार हैं। आदि शंकराचार्य ने काल भैरव अष्टक में भगवान शिव के इस रूप का वर्णन किया है। कालभैरव ब्रह्म कवच कालभैरव का एक शक्तिशाली भजन है। ऐसा कहा जाता है कि इस ढाल का जाप करने से आप जादू-टोने और अन्य शत्रुओं के हमलों से बच जाते हैं।

iti viśvasārōddhāratantrē āpaduddhārakalpē bhairavabhairavīsaṁvādē vaṭukabhairavakavacaṁ samāptam

पातु शाकिनिका पुत्रः सैन्यं वै कालभैरवः ।

गोपनीयं प्रयत्नेन तत्त्वात् तत्त्वं परात्परम् ।

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